Sunday, November 23, 2008

कुछ शब्द कहूं या रहने दूँ ?

कुछ कहीं अधूरा छूट रहा है , कर दूँ पूरा या रहने दूँ?

कोई स्वप्न अर्ध ही टूट रहा है, लख लूँ पूरा या जगने दूँ?

कुछ शब्द कहूं या रहने दूँ?

विष बहुत ह्रदय में फ़ैल चुका है, निःश्रित कर दूँ या बहने दूँ,

विपरीत बहुत जग बोल चुका है, कर दूँ बस चुप या कहने दूँ,

कुछ शब्द कहूं या रहने दूँ ?

विशद विश्व मेरा विलास है, कर लूँ करतलगत, या रहने दूँ?

सूरज में मेरा प्रकाश है , कर दूँ अंधियारा, या उगने दूँ?

कुछ शब्द कहूं या रहने दूँ?

स्वांग बहुत दिन कर आया मैं, छोडूं यह मंच, या रहने दूँ?

यह विश्व नाटिका भंग करू , या चलती है जैसे चलने दूँ?

कुछ शब्द कहूं या रहने दूँ ?

मैं दिग्गज हूँ, मैं सबल सिंह हूँ, घन नाद करू या रहने दूँ?

परिवर्तन के इस शुभ मुहूर्त में , मैं जागू , जग को सोने दूँ?

कुछ शब्द कहूं या रहने दूँ?

4 comments:

Naresh Sharma said...
This comment has been removed by the author.
Naresh Sharma said...

kuchh shabd kahoon ya rehne doon...chalo kah hi deta hoon....a masterpiece written by a masterpiece... :)..kudos to your small but heart touching literary work :)

Rips said...

Tum ne bhai jeevan ko tatol diya...bhaut hi badhiya

Unknown said...

Excelent, kahan se laye